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आज मेरी याद कैसे @AnuWrites

 

 A Story Of Writer 

आज मेरी याद कैसे ( Sort Story) 


बहुत दिन से लिखना चाह रहा था, मन भी कर रहा था लेकिन दिमाग जवाब दे रहा था की जख्म कुरेद कर क्या मिलेगा। मरहम पट्टी भी खुद करनी पड़ेगी।

लिखने का ऐसा है की तसव्वुर होना जरुरी है। वक़्त अब ऐसा आगे निकल चूका है की याद करना भी चाहूँ तो भी याद नहीं आता कुछ।




गाडी के rear मिरर टाइप हो गयी है जिंदगी। पीछे देखना चाहता हूँ, अकक्सीडेंट न हो इसलिए पुरानी गलतियों से सीखना भी चाहता हूँ लेकिन शायद गाडी ही कुछ इतनी तेज़ चली की शीशे में धूल सी जम गयी है। 

हाँ, साफ़ तो कर सकता हूँ, करना भी चाहिए, लेकिन इतनी चोट खाये बैठे हैं की डर सा लगता है की खुशियों के बीच जहाँ दिमाग लगा है वही उसकी याद अचानक सी घुसी बरसात की ठंडी हवा जैसे अकेला न कर दे।

ये वक़्त गुजरने से शिकायत नहीं है मुझको, बस इतना पता हो की इंतज़ार किसका है।

याद भी उसकी ऐसी की जैसे गले में अटका चावल, हिचकी आ रही हो, और पानी लेने भी खुद भागना है। तो अब हिम्मत नहीं रही :)


(ये सोचते हुए शायद फिरसे उसने काल लगा दी, कुछ देर बार फोन उठा)


"आज हमारी याद? कैसे हो आप"


"मैं अच्छा,आप कैसी हो"


"अच्छी हूँ"


"और क्या चल रहा है"


"अभी ऑफिस से आई, और आप"


"मैं ऑफिस में ही हूँ"


"हाँ हाँ बड़े लोग, कहाँ ऑफिस से जल्दी छूटेंगे"


"हह ऐसा कुछ नहीं है, बस रूम में अकेले रहेंगे तो इससे अच्छ ऑफिस में ही रुक लें"


(कुछ 2 मिनट और बात चली होगी)


"अच्छा चलिए रखता हूँ, आप आराम करिये"


"आप भी ख्याल रखना"


(दोनों को पता था, बात ऐसे नहीं खत्म होनी चाहिए थी, फोन पकडे दोनों यादों में खोये थे शायद, उसका नहीं पता ये जरूर खोया था, टेबल पे पैर रखा और यादों की पगडण्डी पकडे जाने किस तरफ निकला

चुप था वो, खाली मौन बोल रहा था


"आज मेरी याद कैसे" 


लाइन अभी तक कानों में गूंज रही थी उसके, व्यंग जैसा लगा, अपने पे हंस और काफी हंसा।

हंसने की बात भी थी


दूर कहीं शायद गाना बज रहा था


बातें ये कभी तू न भूलना

कोई तेरे खातिर है जी रहा


जाये तू कहीं भी ये सोचना

कोई तेरे खातिर है जी रहा)

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